पत्थरबाज़ों को गोली मारने की पावर आर्मी को देनी चाहिए: योगेश्वर दत्त

Yogeshwar Dutt's opinion on stone pelters

कश्मीर घाटी में अशांति के पीछे आतंकवादियों का हाथ है। इन आतंकवादियों को पकड़ने और मार गिराने में भारतीय सेना, बीएसएफ के जवान, सीआरपीएफ के जवान, सीमा पुलिस, जम्मू और कश्मीर पुलिस, सालों से लगे हुए है। लेकिन इस काम में वे भारी कीमत चुका रहे हैं। पत्थरबाज़ सुरक्षा कर्मियों के काम में बाधा डालते आये हैं।

 

२८ मार्च को बडगाम में सुरक्षा कर्मियों और आतंकवादियों के बीच एक मुठभेड़ में केवल एक ही आतंकवादी मारा गया। जब की वहां कई आतंकवादी मौजूद थे। पत्थरबाज़ों ने लगातार सुरक्षा बलों पर पत्थर मारे ताकि आतंकी वहां से भाग निकले। वे सफल हुए! हमले में ४३ सीआरपीएफ के जवान और २० पुलिसकर्मी घायल हुए। पुलिस ने तीन पत्थरबाज़ों को मार गिराया और १७ घायल हुए।

 

इसी तरह सिर्फ 2016 (January to December) में 1921 पत्थरबाज़ी हुई जिसमे 978 CRFF जवान घायल हुए और 25 बुरी तरह से जख्मी। 2017 January to August में 720 पत्थरबाज़ी की वारदाते हुई जिसमे 311 CRFF जवान घायल हुए और 6 बुरी तरह से जख्मी। कूल मिलाकर सिर्फ 18 महीनो में कश्मीर घाटी में 2641 पत्थरबाज़ी की वारदाते हुई जिसमे 1289 CRFF जवान जख्मी हुए।

 

A tweet by Major Gaurav Arya:

stone pelting incident chart

मीडिया पत्थरबाज़ों से सहानुभूति रखती है। यहां तक कि घायल पत्थरबाज़ों को मिलने मीडिया कर्मी हॉस्पिटल तक पहुँच गए! और उनके हित में बोले। ऐसे समय में भारत विरोधी आतंकवाद समर्थकों के खिलाफ आवाज़ उठाना जरूरी हो गया है।

 

योगेश्वर दत्त,  ओलंपिक पदक विजेता,  फ्रीस्टाइल पहलवान, मानोशी सिन्हा, संपादक, My India My Glory, से इस बारे में बोले, “आर्मी और पुलिस को पूरी पावर देनी चाहिए। जो भी पत्थर मारे उसे सबक सिखाने की जरुरत पड़े तो गोली मारने की पावर देनी चाहिए।”

 

एक रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान कश्मीर घाटी के युवाओं और बच्चों को पत्थरबाज़ी करने के लिये उकसा रहा है। पाकिस्तान सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिये कश्मीरी युवाओ को इस्तेमाल कर रहा है; उन्हें पहले ही सूचित किया जाता है कि सुरक्षा बलों और आतंकवादियों के बीच मुठभेड़ कहां होगी।

 

सुरक्षाबल सीमा पर हमारे संरक्षक हैं। वे हमारे लिए अपने जीवन दांव पे लगा देते है। वे हमारे सुरक्षा हेतु नक्सलियों और आतंकवादियों से लड़कर अपना जीवन का बलिदान देते है। क्या मीडिया की पत्थरबाजों के लिए सहानुभूति सही है? यह एक विडंबना है कि सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को निर्देश दिया है कि वह पत्थरबाज़ों को नियंत्रित करने के लिए pellet guns का विकल्प ढूंढे।

 

सेना प्रमुख बिपिन रावत ने पहले ही कश्मीर के नागरिकों को चेतावनी दी थी कि सेना के काम में बाधा डालने वालों पर सख्त कदम उठाये जायेंगे। पत्थरबाज़ों को नियंत्रित करने के लिए कठोर उपायों का कार्यान्वयन करने की आवश्यकता है।

 

Stone-pelting Representation Image Courtesy: View Kashmir Blogger.

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Manoshi Sinha is a writer, history researcher, avid heritage traveler; Author of 8 books including 'The Eighth Avatar', 'Blue Vanquisher', 'Saffron Swords'.
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