CAPF: युनीफोर्म का रंग भले ही अलग हो किंतु मकसद एक – देश की सुरक्षा!
भारत देश, जिसकी सभ्य-संस्कृति की पहचान पूरे विश्व में प्रसिद्ध हैं। पांच हजार पुरानी जिस देश की जीवंत संस्कृति हो, यहां अलग-अलग धर्म के लोग मिलजुल कर रहते हों, यहां प्राचीन संस्कृति उसकी पहचान हो, यहां इतिहासिक ईमारतें अपनी गाथा खुद से गायें, मंगल यान हो या Make in India, इसकी छाप आज पूरे विश्व में दर्ज करवा चुके है।
सन् १९४७, आजादी की वह लम्हा जिस दिन भारत आजाद हुआ। लगा जैसे अब मुश्किलों का दौर निकल गया। किंतु महानता पर गर्व करने वालों की निस्वत, उनसे ईष्या करने वाले ज्यादा होते हैं। आजादी के बाद भी इस देश को कई बाहरी और आंतरिक चुनौतियों का सामना करना पड़ा। किंतु जिस देश के रखवालों के सीने फौलादी हों, जिस देश की सुरक्षा जांबाज वीरों के हवाले हो, उस देश पर कभी आंच नहीं आ सकती।
आजादी के बाद देश की सुरक्षा करने के लिए आर्मी, ऐयरफोर्स, नेवी के अलावा कई Police Forces का गठन किया गया। आज जिन्हें हम Central Armed Police Forces (CAPF) और State Police Forces (स्टेट पुलिस फोर्सिस) के नाम से जानते हैं। इनकी सच्ची निष्ठा और कर्त्तव्य पराणता के कारण आज हम सब अपने-अपने घरों में सुरक्षित हैं।
CAPF में सात तरह की पुलिस फोर्सिस होती हैं। Assam Rifles, CRPF, BSF, CISF, ITBP, SSB, NSG और State Police Forces। कभी 26/11 का आंतकी हमला, कभी नक्सलवाद या कोई आपदा या घरेलु हिंसा, इन सब पुलिस फोर्सिस ने अपनी पूरी मेहनत और ईमानदारी से कर्त्तव्य निभाते आए है। CAPF का युनीफोर्म का रंग भले ही अलग हो किंतु मकसद एक ही हैं, देश की सुरक्षा!
इसी पर मुझे अटल विहारी वाजपेयी जी की कविता याद आती है:
कदम मिलाकर चलना होगा
बाधाएं आती हैं आएं
घिरें प्रलय की घोर घटाएं
पावों के नीचे अंगारे,
सिर पर बरसें यदि ज्वालाएं
निज हाथों में हंसते-हंसते
आग लगाकर जलना होगा
कदम मिलाकर चलना होगा
कदम मिलाकर चलना होगा।
हास्य-रूदन में, तूफानों में,
अगर असंख्यक बलिदानों में,
उद्यानों में, वीरानों में,
अपमानों में, सम्मानों में,
उन्नत मस्तक, उभरा सीना,
पीड़ाओं में पलना होगा।
कदम मिलाकर चलना होगा।
जय हिन्द!
Beenu Rajpoot’s latest film Wall of Valor, a tribute to martyrs and CAPFs, is produced by PPCT and supported by Hamari Police NGO.