Hot Spring अटैक: जहा CRPF के 10 जवान चीनी सैनिको से लड़ते हुए शहीद हुए थे १९५९ में
यह बस याद हैं मुझे ऐ वतन वालों
पर इससे बढ़ के याद हैं वह वादा
जो मैंने किया हैं, अपने देश की मिट्टी से
कि तुम्हारी लाज पर न आने दुंगा… आंच कभी।।
सदीयों की गुलामी के पश्चात् भारत को 15 अगस्त सन् 1947 को अंग्रेजों की गुलामी से आजादी मिली। पहले हम अंग्रेजों के गुलाम थे। उनके बढ़ते हुए अत्याचारों से सारे भारतवासी त्रस्त हो गये और तब एकजुट होकर विद्रोह की ज्वाला भड़की और देश के अनेकों वीरों ने हंसते-हंसते अपनी जान इस देश की स्वतंत्रता के लिए न्यौछावर की। इन वीरों की शहादत की शौर्यगाथाओं का सिलसिला यूं ही चलता गया। आज आजादी के बाद भी भारत माता की आन-बान-शान के लिए केंद्रीय और राजकीय पुलिस बल के जवान, अपनी सच्ची निष्ठा और ईमानदारी से देश की सुरक्षा के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं।
इसी के बीच एक महत्वपूर्ण घटना जिसने सबके सीने को झकझोड़ के रख दिया, जो इतिहास के पन्नों में नया पन्ना जोड़ दिया। वह थी Hot Spring Attack। हमारे बीच कई लोगों को इस घटना की शायद खबर भी न हो। हम सब आम लोग जो पेशे से किसी भी भारतीय Forces के साथ न जुड़े हों, उन्हें हमारी Forces की History और काम करने के तरीकों की कोई जानकारी नहीं होती। 21 अक्टूबर सन् 1959 में लद्दाख के अकसाई चिन्न में Hot Spring नामक बर्फीला ईलाका हैं, जो समुंद्र तल से करीब 16000 फीट की ऊंचाई पर Indo-Tibetian Border पर स्थित हैं।
इसी जगह 21 अक्टूबर 1959 में सीआरपीएफ CRPF के सब-इंस्पेक्टर करम सिंह के नेतृत्व में 21 जवानों की टुकड़ी पर Chinese Army ने आधुनिक हथियारों से अचानक घात लगा कर हमला कर दिया। जिसमें से सीआरपीएफ के 10 जवान बहादुरी के साथ लड़ते हुए शहीद हो गये और बाकी जवानों को Chinese Army ने बंधी बना लिया। 28 नवंबर 1959 को उन बंदी जवानों के शव भारत को सौंप दिये गये।
21 अक्टूबर के इस दिन को पूरे भारत में CAPFS और State Police Forces में Hot Spring में शहीद हुए उन बहादुर शहीदों की याद में पूरे देश में Police Commemoration Day के रूप में मनाया जाने लगा। इस दिन पूरे देश में CAPFs और State Police Forces के शहीदों को भावभीनी श्रद्धांजलि दी जाती है और सम्मानपूर्वक शहीदों के नाम पढ़े जाते हैं। जिसे हमने अपनी Film ‘Wall of Valour-A Tribute to Martyrs’ में पूरी details दिखाया है।
21 अक्टूबर के दिन हमारे देश की राजधानी दिल्ली में केंद्रीय गृहमंत्री श्री राजनाथ सिंह द्वारा National Police Memorial का उद्घाटन किया गया। इस Memorial में ‘Wall of Valour’ भी बनायी गयी, जिस पर अब तक के CAPFS और State Police Forces के सभी शहीदों के नाम खुदवाये गये है।
हर साल हम सभी अपने देश की आजादी का जश्न बड़े ही उत्साह और देशभक्ति के पूरे जोश में मना तो लेते हैं, पर ये भूल भी चूके हैं कि किस तरह ये आजादी हमें प्राप्त हुई है। शायद आज सिर्फ इस आजादी की किमत उन लोगों को ही पता है जिनके घरों के जवान बच्चे देश की रक्षा करते हुए शहीद हो रहे हैं। कोई ऐसा दिन नहीं होगा जब कहीं न कहीं हमारे सैनिक शहीद हो रहे हैं। और पीछे अपने पूरे भरेपूरे परिवार को असहाय छोड़ कर चले जाते हैं।
हम आलीशान घरों में A/C में बैठकर टीवी पर टिप्पणी करने में मशरूफ रहते हैं। किंतु हमारी केंद्रीय पुलिस बल और राजकीय पुलिस बल की मुश्किलों पर कभी किसी का ध्यान नहीं। Criticize करना आसान हैं, पर उनकी तरह दो दिन भी बिताना बेहद मुश्किल। भारत के नागरिक होने के नाते यह हमारा दायित्व है कि हम उनका आदर करें और देश की सुरक्षा करने में उनकी मदद करें।
मैं दिल्ली के लोगों से अनुरोध करती हूं कि उन्हें भी इस National Police Memorial चाणक्यपुरी में जाना चाहिए और इन शहीदों को भावभीनी श्रद्धांजलि देनी चाहिए। यहाँ हर शनिवार को Retreat Band Ceremony का आयोजन किया है। जिसमें Turn wise सभी CAPF की Forces अपने Band का बेहद खूबसूरत प्रदर्शन करती हैं। इस Film की Shooting के दौरान हमें मौका मिला। इन सब Forces के Band का विडियो शूट करने का, जो बेहद भावुक पल था मेरे लिए भी और ‘Wall of Valour’ फिल्म की पुरी टीम के लिए भी। जय हिन्द!
Beenu Rajpoot’s latest film Wall of Valor, a tribute to martyrs, was screened in August 2017. The film is produced by PPCT and supported by Hamari Police NGO.