शहीदों को श्रद्धांजलि है Beenu Rajpoot की फिल्म वॉल ऑफ वैलर

Beenu Rajpoot Wall of Valour

Beenu Rajpoot एक फिल्म निर्माता, सचित्र फोटोग्राफर, दार्शनिक विचारक और रचनात्मक फैशन डिजाइनर हैं। दर्शन में स्नातकोत्तर, उन्होंने फोटोग्राफी पर दो पुस्तकें लिखी हैं। बचपन से फिल्मों का जुनून रहा है; वह नियमित रूप से लेखू और उड़ान देखती थी और एक उत्तेजित बच्ची की तरह श्रृंखला बनाने की तकनीकों को समझने की कोशिश करती थी। उनकी जन्म पंजाब के एक छोटे से शहर में हुई है, जहां फिल्म बनाने और फैशन डिजाइनिंग अपनाने कांटेदार करियर थे। इसलिए, पंजाब विश्वविद्यालय से दर्शन में परास्नातक की डिग्री लेने के बाद, वह आगे की पढ़ाई के लिए दिल्ली आई।
 

उनकी पहली फिल्म बॉर्न टू डांस पद्मश्री गुरू शोवना नारायण की जिंदगी के ऊपर थी। कथक के क्षेत्र में शोवना नारायण का योगदान स्वीकारनीय है। वे पहली महिला dancer थीं जो IAS अधिकारी रहे हैं। Beenu Rajpoot ने उनके अपने जीवन के सभी पहलुओं को इस फिल्म में दर्शाया।
 

यहां श्रीमती मानोषी सिन्हा, प्रधान संपादक My India My Glory ऑनलाइन मैगज़ीन के द्वारा बीनू राजपूत के साथ साक्षात्कार का एक अंश प्रस्तुत है।
 

वॉल ऑफ वैलर‘ फिल्म किस विषय पर आधारित है?
Beenu Rajpoot: हर साल हम सभी अपने देश की आजादी का जश्न बड़े ही उत्साह और देशभक्ति के पूरे जोश में मना तो लेते हैं, पर ये भूल भी चूके हैं कि किस तरह ये आजादी हमें प्राप्त हुई है। शायद आज सिर्फ इस आजादी की किमत उन लोगों को ही पता है जिनके घरों के जवान बच्चे देश की रक्षा करते हुए शहीद हो रहे हैं। कोई ऐसा दिन नहीं होगा जब कहीं न कहीं हमारे सैनिक शहीद न हो रहे हो। यह फिल्म Wall of Valour – A Tribute to Martyrs, पुरी तरह से हमारी देश की Central Armed Police Force, (CAPFs) और State Police Forces के कार्य करने की प्रणाली और On Duty रहते शहीद हुए शहीदों की शहादत्त की शौर्य गाथा पर आधारित हैं।

Beenu Rajpoot Wall of Valour
CAPFs और State Police Forces के बारे में कुछ बताये।
Beenu Rajpoot: CAPFS जिसमें Assam Rifles, CRPF, BSF, CISF, ITBP, SSB, NSG शामिल है और State पुलिस का मतलब, हर State की अपनी पुलिस। ये पुलिस Forces, हमारे देश की बाहरी और आंतरिक सुरक्षा के लिए चौबीसों घंटे On Duty रहते आए हैं। ताकि हम और आप सुरक्षित रह सकें। चाहे वह Border की समस्या हो, आतंकवाद की नक्सबाद की या आंतरिक समस्याएं जैसे Latest टेक्नोलॉजी के Crime, Cyber Crime, Drugs की तस्करी, चोरी इत्यादि समस्याओं के अगेंस्ट यह Forces अपनी सच्ची निष्ठा और कर्तव्य परायजता से इन चुनौतियों का मुंहतोड़ जवाब देते आए हैं।चाहे वह 26/11 का हमला हो या नक्सलवाद वे 24×7 On Duty रहकर इन चुनौतियों को मुंहतोड़ जवाब देते आए हैं। आजादी से लेकर आजतक CAPFs और States Police Forces के लगभग 36000 से भी ज्यादा शहीदों ने अपनी शहादत दी हैं।
 

Police Commemoration Day के बारे में कुछ बताये।
Beenu Rajpoot: Central home ministry ने इन शहीदों की याद में दिल्ली के चाणक्यपुरी में एक पुलिस स्मारक बनाये है। जिसका उद्घाटन हमारे केंद्रीय गृहमंत्री जी राजनाथ सिंह द्वारा 21 अक्टूबर 2016 को किया गया। इसी में एक Wall of Valour भी बनाया गया जिसमें इन शहीदों के नाम खुदवाए गये हैं। हर साल 21 अक्टूबर को इन शहीदों को भावभिनी श्रंद्धाजलि दी जाती हैं, जिसे Police Commemoration Day के रूप में मनाया जाता है।

Beenu Rajpoot Wall of Valour

Beenu Rajpoot

इस फिल्म की शूटिंग कहा कहा की गयी?
Beenu Rajpoot: इस फिल्म की शूटिंग हमनें दिल्ली, जम्मू और कश्मीर, मध्य प्रदेश, पंजाब, उत्तर प्रदेश आदि जगहों पर की। शूटिंग के दौरान काफी मुश्किलें भी आयी। श्रीनगर में हमने पत्थरबाजी भी देखी। पर हमारा मकसद बिल्कुल क्लियर था और हमारी सारी टीम ने बहोत मेहनत से काम किया।
 

इस फिल्म की शूटिंग के दौरान मुझे मौका मिला शहीदों के परिवारों से मिलने का, उनको जानने का, समझने का। उनके साथ बिताएं कुछ पलों से मुझे इस बात का एहसास हुआ कि वे कद में हम सबसे बहुत ऊंचे हैं या यूं कहूं कि बहुत बड़े हैं और हम सब लोग बहुत छोटे!! क्यों? क्योंकि जिन शहीदों ने अपनी जान दी हैं उन्होंने वह जान अपने परिवार के लिए नहीं बल्कि इस देश के लिए दी हैं। उन्होंने इस देश को ही अपना परिवार माना, अपना सब कुछ माना।
 

वहीं बैठे-बैठे यह ख्याल मेरे मन में आया कि क्या हम इन परिवारों को अपना नहीं सकते? क्या हम इनके दु:ख-सुख सांझा नहीं कर सकते? क्या हम अपनी व्यस्त जिंदगी में से कुछ पल इनके लिए नहीं निकाल सकते? यही बात हमने इस फिल्म में कहने की कोशिश की है। जिससे आम नागरिक सामने आयें और ऐसे परिवारों की मदद करें। हमारी सरकार इन परिवारों के लिए जितनी मदद मोहहीया कर सकती है वह कर रही हैं। किंतु इस देश के नागरिक होने के नाते हम सब का भी फर्ज बनता हैं इन परिवारों के प्रति!
और किन किन लोगो का सहयोग आप को मिला यह फिल्म बनाने में?
 

Beenu Rajpoot:इसी कांसेप्ट को मन में रखते हुए हमने Bollywood Star अक्षेय कुमार और Indian Cricketer Gautam Gambhir से भी मिले। अक्षेय बेहद बिजी एक्टर हैं। किंतु हमारा कांसेप्ट सुनकर उन्होंने अपनी बिजी शूटिंग के दौरान भी हमें मिलने की इजाजत दे दी। उस समय वे लगभग ४८ डिग्री में MP में शूटिंग कर रहे थे। हम भी अपने crew के साथ वहीं पहुंचे और इंटरव्यू शूट की। वे बेहद समझदार और सुलझे हुए इंसान हैं, बिल्कुल Down to earth!

Beenu Rajpoot
Gautam Gambhir बेहद इमोशनल और स्पष्ट व्यक्ति है। हाल ही में सुकमा में हुए नक्सलवादी हमले में उन्होंने CRPF के शहीद जवानों की मदद के लिए अपना हाथ बढ़ाया। उनसे इंटरव्यू के दौरान हमें पता चला, जब वह T-20 का Match खेल रहे थे तो उन्होंने अटैक की खबर न्यूज़ में सुनी और नेवसपपेर में देखा कि अलग-अलग दो लड़कियां अपने-अपने पिता के कॉफिन के साथ रो-रोकर बेहाल हो रही थीं। उसी समय गौतम गंभीर ने यह घोषणा की वे 25 शहीदों के परिवारों के बच्चों की पढ़ाई का खर्च उठायेंगे। जो उन्होंने किया भी। ये दो महान नागरिक जो आज हमारी प्रेरणा स्त्रोत है। जिनसे हम सबको सीख लेनी चाहिए।
 

आप इस फिल्म में यह भी देख सकते हैं कि कुछ आम नागरिक स्कूल के डायरेक्टर, टीचर, प्रिंसिपल, बिजनेसमैन, महिला व्यवसायी, और बच्चे भी आगे आये हैं इनकी मदद के लिए।
 

शहीदों की शहादत की शौर्यगाथा मैं किन किन शहीदों की घटाए दिखाए गए है इस फिल्म में?
Beenu Rajpoot: इस फिल्म में हमने मुख्यतय दो शहीदों की शहादत की शौर्यगाथा को लिया हैं। एक हैं, जम्मू-कश्मीर Police के Sub-Inspector अल्ताफ अहमद डार जिन्हें Terriorist ‘Altaf-Laptop’ के नाम से पुकारते थे। जो बेहद ईमानदार पुलिस अफसर थे। एक दिन सुबह उन पर आतंकियों ने हमला कर दिया और वे शहीद हो गये। उस समय उनकी उमर कुछ 30 साल के आसपास होगी।

Film Wall of Valour

Shaheed रॉकी, Shaheed अल्ताफ अहमद डार

दूसरा हैं, BSF बटालियन के कांस्टेबल रॉकी। वे हरियाणा के यमुनानगर गांव में रहने वाले थे। रॉकी की उमर महज 23 साल की थी जब वे शहीद हुए। एक दिन उधमपुर में उनकी BSF की Bus कण्वय गुजर रही थी, जिसमें कुल 44 जवान थे पर किसी के पास हथियार नहीं थे। रॉकी की Duty Bus के Front Gate पर गार्ड की थी। केवल रॉकी के पास AK-47 था।
 

अचानक घात लगाकर बैठे आतंकियों ने बस पर हमला कर दिया। रॉकी ने अपनी सुझबूझ और बहादुरी से उनका डटकर मुकाबला किया।जिसमें एक आतंकवादी मारा गया और दूसरा भाग गया। किंतु इस मुठभेड़ में रॉकी शहीद हो गए। पर मर कर भी वे अपने 44 साथियों की जान बचायी। रॉकी को हाल ही में शौर्यचक्र प्रदान किया गया। तो ऐसे जांबाज वीरों की कहानियां यदि हम सबके सामने लाते हैं तो लोगों को भी इनकी बहादुरी का पता चलेगा।

Beenu Rajpoot film wall of valour

डाक्यूमेंट्री फिल्म्स का भविष्य क्या है?
Beenu Rajpoot: मेरा यह मानना हैं कि डाक्यूमेंट्री फिल्म्स को भी TV Channels पर विशेष स्थान मिलना चाहिए। असल में इनका अलग एक Channel होना चाहिए ताकि शहीदों की सच्ची घटनाये और knowledgeable entertainment भी देखा जा सके। इन फिल्म्स का टेलीकास्ट होना उठना ही ज़रूरी है जितना और फिल्म्स का! कियोकि यह फिल्म्स स्टोरी पर आधारित होती है।
 

फिल्म निर्माण के दौरान आप को किन किन से सहायता मिली।
Beenu Rajpoot: इस फिल्म को पुरा करने में कुछ लोगों का अहम योगदान है। Mr. Mahesh Singla, IPS, Director of Hamari Police NGO, और Mr. Ashok K Taneja जो PPCT के Chairman हैं। मैं विशेष रूप से Mr. Mahesh Snigla JI का तहेदिल से शुक्रगुजार करना चाहती हूं क्योंकि उनकी दिशा निर्देश से ही यह फिल्म पुरी हुई है।

Beenu Rajpoot Wall of Valour

Beenu Rajpoot’s latest film Wall of Valor will be screened on 5th August 2017 at Mukund Lal National College, Yamuna Nagar, Haryana. The film, which is a tribute to martyrs, is produced by PPCT and supported by Hamari Police NGO. The screening will be done in collaboration with Mukund Lal College. Interested visitors are welcome to be part of the event.

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Manoshi Sinha is a writer, history researcher, avid heritage traveler; Author of 8 books including 'The Eighth Avatar', 'Blue Vanquisher', 'Saffron Swords'.
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