Indu Sarkar और भारतीय लोकतंत्र की सबसे काले अध्याय पर एक नज़र
फिल्म Indu Sarkar के माध्यम से मधुर भंडारकर ने १९७५ से १९७७ के बीच इंदिरा गाँधी की लागू की गई इमर्जेंसी के असली हालातों, इस दौरान हुए अत्याचारों, और घटनाओं को दिखाने की कोशिश की है। यह आपातकाल २१ महीने तक चला। देश के नागरिको को कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा था। यही कारण था कि फिल्म रिलीज से पहले काफी विवादों में छा गई। कांग्रेस के नेताओं ने फिल्म की रिलीज रोकने की काफी कोशिश की थी, लेकिन असफल रहे। फिल्म आखिर रिलीज़ हो ही गई।
इमर्जेंसी की पृष्ठभूमि में क्या-क्या हुआ और इसके परिणाम और प्रभाव के बारे में आपको अगर अलंकृत रूप से जानना हो तो आप यह फिल्म Indu Sarkar जरूर देखे। आज भी तथाकथित सेक्युलर और कई लोग जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी द्वारा किए गए गलतियों के प्रति उदासीन या अनजान हैं। जब राहुल गाँधी कहते है ‘मेरी दादीजी ने’ यह किया, वह किया, तो उन्हें एक बार इंदु सरकार जरूर देखनी चाहिए।
फिल्म Indu Sarkar निश्चित रूप से भारतीय लोकतंत्र में सबसे काले अध्याय पर है जिसे आपातकाल कहते हैं। कैसे इंदिरा गांधी और संजय गांधी ने भारतीय नागरिकों से हर तरह की स्वतंत्रता को दूर करने के लिए राज्य तंत्र का इस्तेमाल किया। प्रेस की स्वतंत्रता का सवाल उठता है। Indu Sarkar इंदु (कृति कुल्हरी) के बारे में है जो अपने जीवन को फिर से परिभाषित करने के लिए इस आतंक का इस्तेमाल करती है।
Indu Sarkar एक अनाथ और दुर्भाग्यपूर्ण लड़की के बारे में है जो झुंझलाहट के साथ व्यक्तिगत विवेक पर और विवेकपूर्ण जीवन पर अंतरात्मा का आह्वान करती है। वह हकलाती है लेकिन सुंदर कविताएं लिखती है। फिल्म में इंदु की शादी एक विशेषाधिकार प्राप्त नौकरशाह नवीन से होती है। फिर आपातकाल लागू होता है और इसी दौरान ही कुछ ऐसा हादसा होता है जिसके कारण से इंदु अपने पति को छोड़कर आपातकाल में हो रहे अत्याचारों के खिलाफ आवाज उठाती हैं। उन्हें बहुत सारे उतार चढ़ाव का सामना करना पड़ता है।
आपातकाल ने इंदु को निजी स्तर पर प्रभावित नहीं किया है। यह एक दिन में बदल जाता है, जब संजय गांधी के करीबी एक मंत्री और उनके बिल्डर दोस्त, एक शॉपिंग कॉम्प्लेक्स और पांच सितारा होटल के निर्माण के लिए तुर्कमान गेट में झुग्गी बस्ती को उजाड़ने का फैसला करते हैं । निकासी योजना गड़बड़ हो जाती है जब झोपड़ियों के निवासियों का फैसला होता है कि वे अपने घरों से बाहर नहीं जायेंगे और लड़ेंगे।
आक्रामक भीड़ पुलिस से लड़ती है, पत्थर फेंकते हैं; पुलिस आंसू गैस छोड़ती है और गोली चलाकर जवाब देती है। कई घर नष्ट होते हैं और कई लोग मारे जाते हैं। पहली बार इंदु इमरजेंसी के प्रभावों के साथ आमने-सामने आती हैं। एक ८-१० साल की भाई बहन की जोड़ी को बचाती है और अपने घर ले जाती है। पति नवीन इसका विरोध करता है और कहता है कि या तो वह दोनों अनाथ बच्चों को बाहर निकाले या खुद निकल जाये। और इंदु पति और घर छोड़कर बच्चो को लेकर निकल जाती है।
Indu Sarkar मसाला फ़िल्में देखना पसंद करने वालो के लिए शायद नहीं हैं। लेकिन कलाकार कीर्ति कुल्हरी, अनुपम खेर, नील नितिन मुकेश, सुप्रिया विनोद आदि की शानदार एक्टिंग देखकर आपको यह फिल्म जरूर पसंद आएगी।
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