जम्मू में आतंकियों से लड़ते हुए शहीद हुए थे Rocky; शहीदों को श्रद्धांजलि इस फिल्म द्वारा
फिल्म ‘Wall of Valour- A tribute to Martyrs’ की पहली screening यमुना नगर में की गयी। कार्यक्रम में उपस्थित सभी लोगों ने फिल्म को बेहद सरहाया। कई उच्चाधिकारी इस कार्यक्रम में मौजूद थे। यह फिल्म हमारी NGO PPCT (Precious Planet Charitable Trust) की तरफ से शहीदों के लिए Tribute हैं। फिल्म Screening लगभग 400 लोगों के सामने हुई। फिल्म देखने के दौरान लगभग सभी लोगों की आंखें नम थी। बेहद भावुक पल था। Rocky को श्रद्धांजलि देने के लिए दो मिनट का मौन रखा गया। लोगों ने फिल्म को बेहद सरहाया। डीआईजी, बीएसएफ और Commadant ने जम कि उनकी तारीफ की। रॉकी के परिवार को भी बहुत अच्छी लगी और यह ही हमारी जीत थी।
CAPFs और State Police फोर्स के कॉस्टेबल रॉकी यमुना नगर जिला के बिलासपुर के गांव रामगढ़-माजरा का रहने वाला था। महज 23 साल की उम्र में शहीद वे हो गये। रॉकी की बहादुरी का किस्सा आज पुरे देश में मशहूर है। एक मिसाल बन गया है रॉकी।
मां अंग्रेंजो देवी और पिता प्रतिपाल का बेहद लाडला और सुशील बेटा था। रॉकी अपनी बहन और बड़े भाई रोहित से भी बेहद प्यार करता था। 21 साल की उम्र में ही रॉकी बीएसएफ में भर्ती हो हुए थे। यमुना के MLN कॉलेज में पढ़ता था और वह पढ़ाई में बेहद तेज था। गांव के बच्चों को भी पढ़ाता था और हमेशा अच्छी शिक्षा देता था। उन दिनों में रॉकी के घर की माली हालत अच्छी नहीं थी। उनके पिता देहाड़ी करते थे। बहुत ही मुश्किलों से रॉकी ने अपनी पढ़ाई पुरी की। हमेशा खुश और Positive रहने वाला Rocky कभी भी मुश्किलों में हार नहीं मानता था। घर के हालातों को देखते हुए, महज 21 साल की उम्र में वह बीएसएफ में भर्ती हो गया। बीएसएफ में भर्ती के बाद उनके घर के हालात पहले से कुछ बेहतर हुए।
एक दिन 59 बीएसएफ बटालियन की Convoy बस उधमपुर के रास्ते जम्मु जा रही थी। उधमपुर में एक पुलीया के पास चलती बस के आगे अचानक A-K47 के साथ आतंकवादी ने खड़े होकर हमला करना शुरू कर दिया। आतंकवादी पहले से ही घात लगा कर बैठे थे। बस ड्राइवर ने बस को पहाड़ी के साथ लगाकर खड़ा कर दिया, क्योंकि दूसरी ओर गहरी खाई थी। उस बस में कुल 44 जवान सवार थे। जिनके पास हथियार नहीं थे। उस बस में रॉकी गार्ड की ड्यूटी पर तैनात था। केवल रॉकी के पास A-K 47 बंदूक थी। रॉकी ने बड़ी ही सूझबुझ से काम लिया।
उन्होंने बस में ही पॉजीशन लेते हुए आतंकवादियों पर हमला कर दिया और एक आतंकवादी को वहीं ढेर कर दिया। दूसरा आतंकवादी बस में घुसने की फिराक में था। तब तक रॉकी भी घायल हो चुके थे। Rocky को काफी गोलियां लग चुकी थी। फिर भी रॉकी अपनी हिम्मत से और साहस से दूसरे आतंकवादी पर फायर करता रहा। दूसरे आतंकवादी ने बस के अंदर हैडग्रेनेड फेकने की कोशिश की। किंतु अहम मौके पर रॉकी ने उसे घायल कर दिया और वह आतंकवादी हैडग्रेनेड नहीं फेंक सका। जिससे एक बड़ा हादसा होने से टल गया। तब तक रॉकी पुरी तरह से लहुलुहान हो चुके थे।
दूसरा आतंकवादी घायल हालत में वहां से भाग गया। जो बाद में पकड़ा भी गया, लेकिन इस बीच रॉकी वीर गति को प्राप्त हो चुका था। मां का बहादुर बेटा, महज 23 साल की उम्र में ऐसा काम कर गया, जिससे उसे शत्! शत्! नमन करने का मन करता है। Rocky पूरे BSF में पूरे भारत में एक ऐसी मिसाल बन गया कि आज उसकी बहादुरी के किस्से सब युवाओं को सुनाये जाते हैं।
इस फिल्म की शुटिंग के दौरान ऐसे कई शहीदों के परिवारों से मिलने का मौका मिला, लेकिन रॉकी का एक ऐसा परिवार है जिससे उसकी बहादुरी पर नाज हैं। आज उनके माता-पिता, भाई-बहन और गांववालों को गर्व महसूस होता है Rocky पर।
5 अगस्त 2015 को रॉकी शहीद हुआ था और हमने 5 अगस्त 2017 को उनकी दूसरी पुण्यतिथि पर यह फिल्म शहीद Rocky को समर्पित की। इस कार्यक्रम में उनके माता-पिता, भाई-बहन और गांव के लोग शामिल थे। उनकी मां से मिल कर बहुत अच्छा लगा। पूरी फिल्म के दौरान उनकी मां की आंखें नम थी, परंतु उन्हें रॉकी पर बहुत गर्व और नाज भी था। 2016 को रॉकी को शौर्यचक्र से नवाजा गया।
हमारा मकसद केवल फिल्म बनाकर दिखाना नहीं हैं, हमारा मकसद यह हैं कि पुलिस फोर्स में जो भी व्यक्ति शहीद होता है, वह अपने परिवार के लिए शहीद नहीं होता, बल्कि इस देश के लिए शहीद होता है, क्योंकि वह इस देश को भी अपना परिवार मानता हैं। तो क्या हम उनके परिवार को नहीं अपना सकते? क्या हम उनके सुख-दुख सांझा नहीं कर सकते? यही हमारा मकसद है कि लोग आगे आकर शहीदों के परिवारों से मिले, उन्हें इज्जत दें और दुख-सुख सांझा करें।
हम सब लोग इतने व्यस्त हो गये है कि इंसानियत का पाठ भूल चुके हैं। क्या हम अपनी व्यस्त जिंदगी में कुछ पल नहीं निकाल सकते, जिससे इन परिवारों के साथ कुछ वक्त बिताया जा सके?
सरकार अपना काम बखूबी कर रही हैं किंतु क्या हमारा इन परिवारों के प्रति कोई दायित्व नहीं है? क्या हमारा कोई कर्त्तव्य नहीं है? सब शहीद अपनी जान सरकार के लिए नहीं बल्कि इस देश और देशवासीयों की सुरक्षा के लिए देते हैं। तो देशवासीयों को भी उनके बलिदान की कद्र करनी चाहिए। उनके परिवार का सुख दुख सांझा करना चाहिए।
फिल्म की Screening के बाद जब Rocky की मां ने मेरे सिर पर हाथ रखा, तो मेरी आंखें नम हो गयी। पर उनका यह आर्शीवाद मेरे लिए इस हॉल में बैठे सब उच्चाधिकारियों से बेहद महत्वपूर्ण था। क्योंकि एक मां जब अपने बच्चे को आशीर्वाद देती हैं तो उसे आगे बढ़ने से कोई नहीं रोक सकता। मैं आगे भी जिंदगी में इस तरह कार्य करती रहूंगी। क्योंकि यह कार्य मैं पैसे या fame के लिए नहीं करती हूं बल्कि आत्म संतुष्टि के लिए करती हूं। जय हिन्द!!
The second screening of Beenu Rajpoot’s latest film Wall of Valor – A Tribute to Martyrs will happen on 15th August 2017 at Career Point Gurukul, Mohali, Punjab in between 8 AM to 12 Noon in the presence of dignitaries from the armed forces. Interested visitors may be part of the film screening.