Rohingya के लिये खड़ा UNHC कहां था जब 450,000 पंडितों को जम्मू-कश्मीर से साफ किया गया: जीडी बक्शी
Myanmar से भगाए गए कई हज़ार Rohingya मुसलमानों को कुछ साल पहले कश्मीर समेत कई स्थानों पर गैर कानूनी तरीके से बसाया गया। यह कांग्रेस सरकार के दौरान हुआ था। इन शरणार्थियों को पाकिस्तान, सऊदी अरब तथा बांग्लादेश ने रखने तक से मना कर दिया था। फिर भारत इन्हे आश्रय क्यों दे?
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार संस्था के प्रमुख जो आज कहते हैं कि Myanmar में Rohingya मुसलमानों पर हो रहा अत्याचार ‘जातीय नरसंहार का एक सटीक उदाहरण’ है! जब लाखों की तादाद में कश्मीरी पंडितो को अपने ही कश्मीर से निकाला गया तब भारत और विश्र्व के मानवाधिकार वाले कहां थे? आज भी अपने ही देश में वे शरणार्थियों की तरह रह रहे हैं।
Myanmar में Rohingya मुसलमानों ने अराजकता फैला रखी थी इसीलिए उन्हें निकाला जा रहा है। बौद्ध धर्म दुनिया का सबसे अधिक शांतिप्रिय धर्म माना जाता है तो सोचने वाली बात है की रोहिंग्याओं ने क्या किया होगा। मानवाधिकार की खातिर क्या भारत अपनी सुरक्षा दांव पर लगाए इन्हें आश्रय देकर?
देश- विदेश में रोहिंग्या मुसलमानों के मुद्दे पर म्यांमार के मानवाधिकार का गंभीर उल्लंघन के लिए कड़ी आलोचना हो रही है। भारत की सरकार ने सही फैसला लिया है कि रोहिंग्या शरणार्थियों को देश से बाहर निकाले। परन्तु प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट में यह याचिका दायर कर दी की Rohingya को भारत में ही रहने देना चाहिए। भूषण के समर्थन में कई लोग खड़े हैं।
Rohingya मुसलमानों के बारे में मेजर जनरल (डॉ) गगनदीप बख्शी कहते है, “पाकिस्तानियों की आईएसआई के संरक्षण के तहत रोहिंग्या मुसलमानों को प्रशिक्षित किया जा रहा है। रोहिंग्या आतंकवादियों ने Myanmar पुलिस और सेना के पोस्ट्स पर हमलों का एक हिंसक अभियान शुरू कर दिया है। यही कारण है कि सेना जवाबी कार्रवाही कर रही है।”
“क्या और क्यों हम उन्हें स्वीकार करने के लिए बाध्य हैं? उन्हें आईएसआई की सुविधा के लिए जम्मू में डाल दे और वे LeT ऑपरेशन्स को अंजाम दे? जहां शरणार्थियों और मानवाधिकारों के लिए UNHC आज Rohingya के लिए खड़े है, जब 45,0000 पंडितों को जम्मू-कश्मीर से जातीय रूप से साफ किया गया था, तब वे कहां थे? यह भारत में आईएसआई की कारर्वाही की सुविधा के लिए बनाया गया एक षडयन्त्र है।”
सबसे बढ़कर है देश की सुरक्षा! जय हिन्द!!
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