Kashmiri पंडितों के लिए बोलने वाला कोई नहीं है; हिंदुस्तान में हिंदुस्तानी ही शरणार्थी: योगेश्वर दत्त
२० जनवरी १९९९ का दिन था जब Kashmiri पंडितों को कश्मीर में मस्जिदों से लाउडस्पीकरों के जरिए ऐलान किया गया की वे काफिर है। ऐलान यह भी किया गया की वे मुसलमान धर्म अपना लें, या कश्मीर छोड़कर चले जाएं। अगर दोनों में से एक भी शर्ते मंजूर न हो तो मरने के लिए तैयार रहें।
Kashmiri पंडितों को सरे आम कातिल किया गया। सरेआम हुए थे बलात्कार! बड़ी संख्या में कश्मीरी पंडितों को मज़बूरन अपने घर छोड़ने पड़े। अपने देश में ही वे शरणार्थी बन गए! १९९० के बाद कई लाख कश्मीरी पंडित कश्मीर से विस्थापित हुए।
म्यांमार से भगाए गए कई हज़ार रोहिंग्या मुसलमानों को कुछ साल पहले कश्मीर समेत कई स्थानों पर गैर कानूनी तरीके से बसाया गया। यह कांग्रेस सरकार के दौरान हुआ था।
देश- विदेश में रोहिंग्या मुसलमानों के मुद्दे पर म्यांमार के मानवाधिकार का गंभीर उल्लंघन के लिए कड़ी आलोचना हो रही है। हाल ही में पहली बार भारत सरकार ने इस पर कड़ा रुख अपनाते हुए यह फैसला किया की रोहिंग्या को भारत में रहने की अनुमति नहीं दी जायेगी। केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि रोहिंग्या मुसलमानों ने भारत में अवैध तरीके से घुसपैठ की है; उनको देश से जाना ही होगा। यह भी कहा की रोहिंग्या को शरणार्थी नहीं कहा जा सकता और उनके तार आतंकियों से जुड़े हैं।
इन शरणार्थियों को पाकिस्तान, सऊदी अरब तथा बांग्लादेश ने रखने तक से मना कर दिया था। फिर भारत इन्हे आश्रय क्यों दे?
योगेश्वर दत्त, फ्रीस्टाइल पहलवान, ओलंपिक पदक विजेता, ने ट्वीट किया: दुःख इस बात का है की हिंदुस्तान में कश्मीरी पंडितों के लिए बोलने वाला कोई नहीं है; हिंदुस्तान में हिंदुस्तानी ही शरणार्थी।
शरणार्थियों और मानवाधिकारों के लिए UNHCR, जो १९५० से सक्रिय रूप से काम कर रहे है, आज रोहिंग्या के लिए खड़े है। जब हज़ारो Kashmiri पंडितों को जम्मू-कश्मीर से जातीय रूप से साफ किया गया था, तब वे कहां थे?
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