खिलजी की छल से Gora Badal के वीरगति, पद्मावती और 74,500+ राजपूत महिलाओं के जौहर
वे चाचा भतीजा थे जो जालोर के चौहान वंश से सम्बन्ध रखते थे! राजस्थान की इतिहास में उनके नाम स्वर्ण अक्षरों में लिखा गया है। वे चित्तौड़गढ़ मेवाड़ के महान योद्धाओं में से एक थे। वे मेवाड़ के राजा रावल रतन सिंह के बचाव के लिए बहादुरी से लड़े थे। वे थे गोरा और बादल।
श्री पंडित नरेंद्र मिश्र ने Gora Badal, और रानी पद्मावती के बारे बहुत ही सुंदर कविता लिखी है; कुछ पंक्तिया:
दोहराता हूँ सुनो रक्त से लिखी हुई क़ुरबानी |
जिसके कारन मिट्टी भी चन्दन है राजस्थानी ||
रावल रत्न सिंह को छल से कैद किया खिलजी ने
काल गई मित्रों से मिलकर दाग किया खिलजी ने
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हर हर महादेव की ध्वनि से दशो दिशा लहराई
गोरा बादल के अंतस में जगी जोत की रेखा
मातृ भूमि चित्तोड़ दुर्ग को फिर जी भरकर देखा
कर प्रणाम चढ़े घोड़ो पर सुभग अभिमानी
देश भक्ति की निकल पड़े लिखने वो अमर कहानी
जिसके कारन मिट्टी भी चन्दन है राजस्थानी |
दोहराता हूँ सुनो रक्त से लिखी हुई क़ुरबानी ||
….
गोरा झूम उठे छन बादल को पास बुलाया
बोले बेटा वक़्त आ गया अब काट मरने का
मातृ भूमि मेवाड़ धरा का दूध सफल करने का
यह लोहार पद्मिनी भेष में बंदी गृह जायेगा
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दिल्ली की भीषण सेना की होली अभी जलेगी
यह कह के महाकाल बन गोरा रण में हुंकारा
लगा काटने शीश बही समर में रक्त की धारा
खिलजी की असंख्य सेना से गोरा घिरे हुए थे
लेकिन मानो वे रण में मृत्युंजय बने हुए थे
पुण्य प्रकाशित होता है जैसे अग्रित पापों से
फूल खिला रहता असंख्य काटों के संतापों से
वो मेवाड़ी शेर अकेला लाखों से लड़ता था
बढ़ा जिस तरफ वीर उधर ही विजय मंत्र बढ़ता था
इस भीषण रण से दहली थी दिल्ली की दीवारें
गोरा से टकरा कर टूटी खिलजी की तलवारें
मगर क़यामत देख अंत में छल से काम लिया था
गोरा की जंघा पर अरि ने छिप कर वार किया था
वहीँ गिरे वीर वर गोरा जफ़र सामने आया
शीश उतार दिया धोखा देकर मन में हर्षाया
मगर वाह रे मेवाड़ी गोरा का धड़ भी दौड़ा
किया जफ़र पर वार की जैसे सर पर गिरा हतोड़ा
…..
अपने सीमा में बादल शकुशल पहुच गए थे
गारो बादल तिल तिल कर रण में खेत गए थे
एक एक कर मिटे सभी मेवाड़ी वीर सिपाही
रत्न सिंह पर लेकिन रंचक आँच न आने पायी
गोरा बादल के शव पर भारत माता रोई थी
उसने अपनी दो प्यारी ज्वलंत मनियां खोयी थी।
….
दिल्ली के सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी के शासनकाल के दौरान मेवाड़ एक मजबूत राजपूत राज्य था। मेवाड़ के राजा राणा रतन सिंह थे। चित्तौड़ किला मेवाड़ का रक्षा कवच था। 700 एकड़ जमीन में फैला यह किला समय और हमलों के खिलाफ मजबूती से खड़ा रहा है!
रानी पद्मावती मनोहरगढ़ के राजा सम्मान सिंह जी पंवार की बेटी थी। राजा ने अपनी बेटी के लिए एक स्वयंवर की व्यवस्था की। राणा रतन सिंह ने मलखान सिंह (एक छोटे से पड़ोसी राज्य के राजा), को हराने के बाद स्वयंवर समारोह में पद्मावती से शादी कर ली थी।
अलाउद्दीन खिलजी ने अपने ससुर और चाचा जलालउद्दीन खिलजी की हत्या करने के बाद अपने आप को दिल्ली का सुल्तान घोषित कर दिया था। उसने रानी पद्मावती के सौंदर्य के बारे में बहुत कुछ सुना था। वह रानी को हर हाल में पाना चाहता था। जनवरी 1303 में, अलाउद्दीन खिलजी ने एक विशाल सेना के साथ चित्तौड़ पर चढ़ाई कर दी। किले की मजबूत रक्षा व्यवस्था देखकर वह बहुत निराश हुआ।
खिलजी की सेना की ताकत देखकर राणा रतन सिंह लड़ाई से बचने के उपाय सोचने लगे। तभी अलाउददीन खिलजी राजा को संदेश भेजा कि वह अपनी सेना के साथ दिल्ली लौटेंगे अगर वो रानी पद्मावती की एक झलक की अनुमति दे।
बुद्धिमत्ता पद्मावती एक शर्त पर सहमत हुई कि खिलजी केवल एक आईने में उनकी प्रतिबिंब देख सकते है। अलाउद्दीन खिलजी सहमत हुए। वह अपने विश्वस्त जनरलों के साथ आये। आईने में पद्मावती की प्रतिबिंब देखकर खिलजी हक्का-बक्का हो गये। जितना सुना था रानी पद्मावती उससे भी ज्यादा सुंदर थी। रानी को अपनाने की इच्छा और ज्यादा मजबूत हुई।
अपनी बात रखते हुए अलाउद्दीन खिलजी अपने शिविर की ओर रवाना हुए। रतन सिंह खिलजी को किले के फाटक तक छोड़ने गए। फाटक पहुंचते ही खिलजी ने छल से रतन सिंह को बंधक बनाकर अपने शिविर ले गये और वहां उन्हें कैद कर लिये। वह चित्तौड़ किले में संदेश भेजा ओर राजा के बदले में रानी पद्मावती की मांग की।
बुद्धिमत्ता पद्मावती ने एक योजना तैयार की। वह खिलजी के पास एक दूत भेजा और कहा कि वह पालकी में अपने सहेलीयों और नौकरानियों के साथ सुबह शिविर तक पहुंच जायेंगे। अगले दिन सुबह रानी ने दो प्रमुख जनरल Gora Badal के साथ कई सैनिकों को खिलजी के शिविर जाने के लिए तैयार किये। एक पालकि मे गोरा ख़ुद बैठा था।
हथियार सहित महिलाओं के वेश में कुछ सैनिक पालकीओं में बैठे और बाकी 200 पालकीओं के पदाधिकारियों की भूमिका में खिलजी के शिविर की ओर चल दीये। शिविर में पहुंचते ही ८० साल का गोरा ने रतन सिंह के टेंट में जाके उन्हें घोड़े पे बैठने को कहा और चित्तौरगढ़ किला की और जाने को कहा। राणा के सैनिकों ने हमला बोला। गोरा खिलजी के तम्बू तक पहुँचा और खिलजी को मारने ही वाला था पर सुल्तान अपनी उपपत्नी के पीछे छिप गया। भारत के योद्धा महिलाओं को नहीं मारते, इसलिए गोरा ने उस महिला पर वार नहीं किया।
इस मुठभेड में दोनों पक्ष के कई सैनिक मारे गये। राणा रतन सिंह को बचाया गया। खिलजी के सैनिकों से युध करते हुए Gora Badal वीरगति को प्राप्त हुए। राजा चित्तौड़ किला सुरक्षित पहुंच गये।
क्रोधित अलाउद्दीन खिलजी ने चित्तौड़ किले को चारों और से घेर लिया। राणा रतन सिंह अपने सैनिकों को किले के सभी फाटक बंद रखने को आदेश दिया। खिलजी के सैनिक चित्तौड़ किला के मजबूत दीवारों को नहीं तोड़ पाए।
यह सिलसिला आठ महीने तक चली (जनवरी से अगस्त तक)। किले में संग्रहित खाद्य वस्तु सब ख़त्म हो गए थे। 26 अगस्त, 1303 पर, रतन सिंह अपनी सेना के साथ केसर पगड़ी धारण करते हुए दुश्मनों के खिलाफ आत्मघाती हमले किए। लड़ाई में रतन सिंह सहित सारे सैनिक मारे गए।
किले के अन्दर पद्मावती के आदेश के अनुसार एक विशाल चिता जलाया गया। रानी पद्मावती और उनके साथियों, क्रूर दुश्मन के हाथों से बचने और अपने सम्मान को बचाने, चिता में कूद गये। उनके जौहर प्रदर्शन अपने आत्मसम्मान हेतु बलिदान था।
खिलजी और उनके सैनिक जब किले के अन्दर आये, उन्हे केवल राजपूत महिलाओं के शव की राख की सामना हुई।
लुटेरों और बलात्कारियों को बॉलीवुड क्यों महिमामंडन करते हैं? क्या संजय लीला भंसाली की फिल्म ‘पद्मावती’ गोरा और बादल की वीरता को दर्शा पायेगा? क्या रानी पद्मावती के चरित्र का न्याय करेगी यह फिल्म? पद्मावती और उन 74,500+ राजपूतिनी जिन्होंने अपने सम्मान को बचाते हुए जौहर किया ताकि खिलजी और उनके सैनिक उन्हें बलात्कार न कर पाए – क्या यह फिल्म न्याय करेगी? अगर फिल्म सच्चा इतिहास नहीं दर्शाता है, तो यह भारतीय नारीत्व का अपमान होगा।
पद्मावती और उनके साथियों की सर्वोच्च बलिदान को हमारी श्रद्धांजलि! Gora Badal के वीरता को नमन। चित्तौड़गढ़ किले में रानी पद्मिनी के महल के दक्षिण में दो गुंबद के आकार घरों का निर्माण किया गया है जिन्हें गोरा बादल के महल के नाम से जाना जाता है।
Gora Badal featured image courtesy: Agniveer.
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