Sardar Patel और नेहरू: इतिहास के कुछ तथ्य जो आपको पता होने चाहिए
भारत की आजादी के बाद बने प्रथम गृह मंत्री और उप-प्रधानमंत्री, सरदार पटेल विभिन्न रियासतों में बिखरे भारत के भू-राजनीतिक एकीकरण में केंद्रीय भूमिका निभाए थे। इसीलिए उन्हें लौह पुरूष और भारत का बिस्मार्क भी कहा जाता है। क्या आपको पता हैं उनके सरदार उपाधि उन्हें बारडोली की महिलाओं ने प्रदान की थी? पटेल बारडोली की सत्याग्रह का नेतृत्व कर रहे थे। यह उपाधि उन्हें इस सत्याग्रह की सफलता पर मिली।
प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस पर निशाना साधा यह कहते हुए की Sardar Patel का योगदान को कम करने और मिटाने का प्रयास किया गया। मोदी ने पटेल की 142वीं जयंती पर ‘रन फॉर यूनिटी’ की शुरुआत की। उन्होंने कहा कि उनके राजनितिक सूझबूझ और शासन कौशल की वजह से आज देश एकजुट है। जो की अंग्रेज बिलकुल नहीं चाहते थे। अंग्रेज यह चाहते थे की भारत के छोटे-छोटे टुकड़ों में बंट जाए।
सरदार पटेल और पंडित जवाहरलाल नेहरू दोनों की सोच और विचार में बहुत अंतर था। उनके रिश्तों में कड़वाहट की बात समय-समय पर उठती रहती है। दोनों के बीच मतभेद होती थी। महात्मा गाँधी को विदेश में पढ़े नेहरू के आधुनिक विचार पसंद थे।
हैदराबाद रियासत आज भारत का हिस्सा होने के पीछे Sardar Patel के एहम भूमिका है। कन्हैयालाल माणिक लाल मुंशी ने अपनी किताब में लिखा है कि सरदार पटेल ने वगैर नेहरू को बताए ऑपरेशन पोलो के जरिए हैदराबाद को भारत में मिला लिया। क्यों की नेहरू हैदराबाद रियासत के साथ किसी तरह की जोर-जबरदस्ती के बिल्कुल खिलाफ थे। सरदार पटेल के इस कार्य से पंडित नेहरु बहुत नाराज थे।
नेहरू ने कश्मीर मामले से Sardar Patel को दूर रखा। उन्होंने एन गोपालस्वामी आयंगर को बिना पोर्टफोलियो का मंत्री बना दिया कश्मीर मुद्दे को सँभालने। आयंगर सीधे नेहरु से निर्देश ले रहे थे। पटेल को इस बात का जरा भी अंदाजा नहीं था।
इतिहास की अनकही सत्य कहानियां का एक अंश यहाँ प्रस्तुत है, एक रिक्शाचालक, धर्मसिंह तोमर की डायरी के आधार पर:
सरदार वल्लभ भाई पटेल :- ‘‘नेहरू जी आइये रिक्शा में बैठ लीजिए!’’
जवाहर लाल नेहरू :- ‘‘नहीं पटेल जी हम खान साहब से जरूरी बातें कर रहे हैं।’’
सरदार वल्लभ भाई पटेल :- ‘‘ऐसी क्या जरूरी बाते हैं?
जवाहर लाल नेहरू :- ‘‘यह पाकिस्तान जाने की जिद किए हुए हैं, हम चाहते हैं कि भारत में ही रहें।’’
सरदार वल्लभ भाई पटेल :- ‘‘तो जाने क्यों नहीं देते, फिर पाकिस्तान बनवाया ही किसलिए।’’
जवाहर लाल नेहरू :- ‘‘वह तो ठीक है, लेकिन इनके साथ पांच लाख मुस्लिम और पाकिस्तान चले जाएंगे।’’
सरदार वल्लभ भाई पटेल :- ‘‘तो जाने दीजिए।’’
जवाहर लाल नेहरू :- ‘‘लेकिन दिल्ली तो खाली हो जाएगी।
सरदार वल्लभ भाई पटेल :- ‘‘जो लाहौर से हिन्दू आएंगे उनसे भर जाएगी।’’
जवाहर लाल नेहरू :- ‘‘नहीं उन्हें मुस्लिमों के घर हम नहीं देंगे, वक्फ बोर्ड को सौंप देंगे।’’
सरदार वल्लभ भाई पटेल :- ‘‘और लाहौर में जो अभी से मंदिर और स्कूल पर कब्जा कर उनके नाम इस्लामिक रख दिए हैं।
जवाहर लाल नेहरू :- ‘’पाकिस्तान से हमे क्या लेना-देना, हम तो भारत को धर्मनिरपेक्ष देश बनाएंगे।’’
सरदार वल्लभ भाई पटेल :- ‘‘लेकिन देश का बंटवारा तो धर्म के आधार पर हुआ है। अब यह हिन्दुस्तान हिन्दुओं का है।’’
जवाहर लाल नेहरू :- ‘‘नहीं यह देश कांग्रेस का है… कांग्रेस जैसा चाहेगी वैसा होगा।’’
सरदार वल्लभ भाई पटेल :- ‘‘इतिहास बदलता रहता है, अंग्रेज भी जा रहे हैं फिर कांग्रेस की हस्ती ही क्या है? मुस्लिम साढे सात सौ साल में गए, अंग्रेज 200 साल में गए और कांग्रेस 60-70 साल में चली जाएगी और लोग भूल जाएंगे।’’
जवाहर लाल नेहरू :- ‘‘ऐसा कभी नहीं होगा।’’
सरदार वल्लभ भाई पटेल :- ‘‘जरूर होगा, आप मुगल सोच त्याग दें।’’ कहकर पटेल ने रिक्शा चालक से कहा, ‘आप तेज चलिए, हम भी किस मूर्ख से जबान लडा बैठे!’
Conversation between Sardar Patel and Nehru and featured image source: savehinduism.in.