भारत में 40,000 Rohingya शरणार्थियां हैं; हम 1.2 अरब नागरिक उनका स्वागत कर सकते है: शशि थरूर
विश्व मानवाधिकार दिवस (World Human Rights Day) के अवसर पर The Quint magazine ने शशि थरूर के एक लेख पुनः प्रकाशित किया। शशि थरूर ने लिखा: “There are only 40,000 Rohingya refugees in India. A country of 1.2 billion people can easily welcome them in our midst. Let us stop allowing the ruling party’s bigotry to undermine more than two millennia of Indian tradition. Let us be humane to the Rohingyas – and in that way, let us be true to ourselves.” (भारत में केवल 40,000 रोहिंगिया शरणार्थियां हैं हमारे बीच में। इस देश के 1.2 अरब नागरिक आसानी से उनका स्वागत कर सकता है।…)
The Quint द्वारा प्रकाशित शशि थरूर के इस लेख का शीर्षक है – With Rohingyas, Hindu Nationalists Forget ‘Atithi Devo Bhava’। Hindu Nationalists? The Quint और शशि थरूर जरा बताये ‘Hindu Nationalists’ कौन है?
म्यांमार से भगाए गए कई हज़ार रोहिंग्या मुसलमानों को कुछ साल पहले कश्मीर समेत कई स्थानों पर गैर कानूनी तरीके से बसाया गया। यह कांग्रेस सरकार के दौरान हुआ था। इन शरणार्थियों को पाकिस्तान, सऊदी अरब तथा बांग्लादेश ने रखने तक से मना कर दिया था। फिर भारत इन्हे आश्रय क्यों दे?
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार संस्था के प्रमुख जो आज कहते हैं कि म्यांमार में Rohingya मुसलमानों पर हो रहा अत्याचार ‘जातीय नरसंहार का एक सटीक उदाहरण’ है! जब लाखों की तादाद में कश्मीरी पंडितो को अपने ही कश्मीर से निकाला गया तब भारत और विश्र्व के मानवाधिकार वाले कहां थे? आज भी अपने ही देश में वे शरणार्थियों की तरह रह रहे हैं।
म्यांमार में Rohingya मुसलमानों ने अराजकता फैला रखी थी इसीलिए उन्हें निकाला गया। बौद्ध धर्म दुनिया का सबसे अधिक शांतिप्रिय धर्म माना जाता है तो सोचने वाली बात है की रोहिंग्याओं ने क्या किया होगा। मानवाधिकार की खातिर क्या भारत अपनी सुरक्षा दांव पर लगाए इन्हें आश्रय देकर?
देश- विदेश में रोहिंग्या मुसलमानों के मुद्दे पर म्यांमार के मानवाधिकार का गंभीर उल्लंघन के लिए कड़ी आलोचना हो रही है। भारत की सरकार ने सही फैसला लिया है कि रोहिंग्या शरणार्थियों को देश से बाहर निकाले। परन्तु प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट में यह याचिका दायर कर दी की Rohingya को भारत में ही रहने देना चाहिए। भूषण के समर्थन में कई लोग खड़े हैं। इसका समर्थन शशि थरूर ने भी ट्वीट करके किया। आज भी शशि थरूर रोहिंग्या रेफुगीस के समर्थन में खड़े है।
Rohingya मुसलमानों के बारे में मेजर जनरल (डॉ) गगनदीप बख्शी ने यह कहा था: ““क्या और क्यों हम उन्हें स्वीकार करने के लिए बाध्य हैं? उन्हें आईएसआई की सुविधा के लिए जम्मू में डाल दे और वे LeT ऑपरेशन्स को अंजाम दे? जहां शरणार्थियों और मानवाधिकारों के लिए UNHC आज Rohingya के लिए खड़े है, जब 45,0000 पंडितों को जम्मू-कश्मीर से जातीय रूप से साफ किया गया था, तब वे कहां थे? यह भारत में आईएसआई की कारर्वाही की सुविधा के लिए बनाया गया एक षडयन्त्र है।”
“पाकिस्तानियों की आईएसआई के संरक्षण के तहत रोहिंग्या मुसलमानों को प्रशिक्षित किया जा रहा है। रोहिंग्या आतंकवादियों ने म्यांमार पुलिस और सेना के पोस्ट्स पर हमलों का एक हिंसक अभियान शुरू कर दिया है। यही कारण है कि सेना जवाबी कार्रवाही कर रही है।”
सबसे बढ़कर है देश की सुरक्षा! जय हिन्द!!
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