Articles by Kamlesh Kumar

सफ़र मंजिल का

सफ़र मंजिल तलक का — नहीं आसान होगा, बन मुश्किल खड़ा आंधी — कहीं तूफ़ान होगा ! कभी महसूस करोगे अगन है दिल में तुम्हारे, होगा ऐसा भी कभी — जलता मकान होगा ! नदी…


बच्चे भारत माँ के वीर जवानों के

भारत माँ पर आये दिन आतंक रूपी मुसीबत आ जाती है, और पापा की सारी छूट्टी एक फ़ोन खा जाती है ! दिन हो या रात पापा झट से वर्दी पहन हो जाते हें तैयार,…


आज़ादी

खोल दी गयी आज़ादी के हाथों की हथकड़ी और पैरों की बेड़ियाँ, फिर खींच दी गयी चंद लकीरें करने को अठखेलियां आज़ादी ने सोचा ये कैसा बंधन-मुक्ति का एहसास है बाहर से हर शै बिंदास…


हे माँ भारत

हे माँ भारत, हे माँ भारत, स्वर्ग है तू और तू हीं ज़न्नत ! जनम-दर-हम-जनम लेकर, हो जाएँ निस्सार तुझ पर, है ये हीं आख़िरी तमन्ना, और ये हीं अंतिम मन्नत, हे माँ भारत ———-!…


आज जिस बात पे

आज जिस बात पे खफ़ा वो हमसे हो चलें हें, क्या खबर उनको इसी बात में हम दिन-रात जलें हें ! आज जिस……….. ज़िन्दगी मुझसे गले मिलके एक बात कह गयी; तू जला है तो…


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