क्यों कश्मीर का वाकया दो दोस्तों के बीच महज़ एक मनमुटाव नहीं है
क्यों कश्मीर का वाकया दो दोस्तों के बीच महज़ एक मनमुटाव नहीं है एक यहूदी को कैसा महसूस होगा अगर कोई जर्मन उससे कहे, “हम दोनों के बीच कुछ समय पहले कुछ मनमुटाव हो गए…
क्यों कश्मीर का वाकया दो दोस्तों के बीच महज़ एक मनमुटाव नहीं है एक यहूदी को कैसा महसूस होगा अगर कोई जर्मन उससे कहे, “हम दोनों के बीच कुछ समय पहले कुछ मनमुटाव हो गए…
Kashmiri पंडितों के लिए बोलने वाला कोई नहीं है; हिंदुस्तान में हिंदुस्तानी ही शरणार्थी: योगेश्वर दत्त २० जनवरी १९९९ का दिन था जब Kashmiri पंडितों को कश्मीर में मस्जिदों से लाउडस्पीकरों के जरिए ऐलान किया…